1 Part
134 times read
5 Liked
गजल वो भी उड़ते हैं यहाँ जिनके पर नहीं होते। कुछ खवरदार यहाँ बेखवर नहीं होते।। सबको दरकार है रोटी मकान कपड़े की। कई बेघर हैं यहाँ जिनके घर नहीं होते।। ...