हिज्र की बाते करते-करते वस्ल के दिन गुजर रहे हैं

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हिज्र की बाते करते-करते वस्ल के दिन गुजर रहे हैं सनम हमारे हमसे अलग अपना एक नया घर कर रहे हैं अब वो सज-धज के हमे नहीं पूछते कैसी लग रहीं ...

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