20 Part
443 times read
14 Liked
कविता----दर्द...! (हास्य कविता ) कैसे कहूँ, तुमको.. छोड़ कर चले जाओ प्रिये मुझको तुम नहीं भाते जरा.. सुबह से लेकर शाम तक बैरी के जैसे लगते मुझे तुम्हारी टीस खटकती है ...