२०-जन एकता की भाषा हिंदी- रचना २०

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पराए मुल्क में गुजारी है ज़वानी हमने सुनी है मुहब्बत बिस्तर कि ज़ुबानी हमने गैर जिस्म की बाहों में रहते थे कुछ यूं कि कई दिनों तक नहीं देखी दिन की ...

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