लकीरें

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नहीं आ रहा समझ मैं कैसे बयां करूँ, तेरे साथ को लगता है जैसे कोई चाँद निकला हो, अंधेरी रात को हर अदा, हर कशिश तेरी, अब हरपल मुझे लुभाती है ...

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