लेखनी प्रतियोगिता -23-Sep-2022

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कभी रात को बारिश में जब चांद निकल आता है ये चंचल विरही मन मेरा विद्रोही बन जाता है। जी करता है जी भर रोऊँ या तुमको पास बुला लूँ या ...

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