खुदा कब तल्क जुल्म होते रहेंगे ये मासूम मासूम रिश्तों की लाशें लहू तरबतर कुछ फरिश्तों की लाशें यूँ ही उनके माँ बाप ढोते रहेंगे खुदा कबतल्क जुल्म होते रहेंगे तेरे ...

×