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वेश्या मुंशी प्रेम चंद सिंगारसिंह लपककर उसके गले से लिपट गया और बोला, तुम खूब आये यार, इधार तुम्हारी बहुत याद आ रही थी; मगर पहले यह बतला दो, वहाँ का ...