मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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वेश्या मुंशी प्रेम चंद वह रूप, यौवन और विकास की देवी इस तरह मुरझा गयी थी, जैसे किसी ने उसके प्राणों को चूसकर निकाल लिया हो। करुण-स्वर में बोला, यह तुम्हारा ...

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