मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

270 Part

41 times read

0 Liked

वेश्या मुंशी प्रेम चंद उसने अविचलित भाव से कहा, आक्षेप नहीं कर रही हूँ, सच्ची बात कह रही हूँ। तुम्हारे डर से बिल खोदने जा रही हूँ। तुम स्वीकार करो या ...

Chapter

×