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दोहा बहन भाई घर आ गई, ले पूजन का थाल। रोली अक्षत से सजा, आज भाई का भाल।। मुदित उतारे आरती, कहती रक्षक वीर। मेरी रक्षा में तिरी, तनी रहे शमसीर।। ...