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बैलों की कथा मुंशी प्रेम चंद मोती ने पड़े-पड़े कहा-'आखिर मार खाई, क्या मिला?' 'अपने बूते-भर जोर तो मार दिया।' 'ऐसा जोर मारना किस काम का कि और बंधन में पड़ ...