मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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बैलों की कथा मुंशी प्रेम चंद सहसा दोनों को ऐसा मालूम हुआ कि परिचित राह है। हां, इसी रास्ते से गया उन्हें ले गया था। वही खेत, वही बाग, वही गांव ...

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