मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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विद्रोही मुंशी प्रेम चंद मैंने हँसी करके कहा, 'क्यों, क्या मैं सारी उम्र पढ़ता ही रहूँगा और तुम हमेशा गुड़िया ही खेलती रहोगी ?' तारा ने मेरी तरफ इस ढंग से ...

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