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विद्रोही मुंशी प्रेम चंद चचा साहब ने धृष्टता से कहा, 'विमल बाबू, मुझे खेद है कि मैं इस विषय में और नहीं दब सकता।' विमल बाबू जरा तेज होकर बोले, 'आप ...