दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय ,,मान्यता,,

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*यूं ही नहीं मान्यता है बिंदी की,* *स्त्री में छुपे भद्रकाली के रूप को शांत करती है ।* *यूं ही नहीं लगाती काजल,* *नकारात्मकता निषेध हो जाती है,* *जिस आंगन स्त्री ...

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