मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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विद्रोही मुंशी प्रेम चंद तीन दिन मैंने बड़ी व्यग्रता के साथ काटे। उसका केवल अनुमान किया जा सकता है। सोचता, तारा हमें अपने मन में कितना नीच समझ रही होगी। कई ...

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