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विद्रोही मुंशी प्रेम चंद चचाजी ने मेरी तरफ आँखें फाड़कर कहा, 'क्यों ?' मैंने उसी निर्भीकता से जवाब दिया -'इसीलिए कि मैं इस विषय में स्वाधीन रहना चाहता हूँ।' चचा साहब ...