मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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कुसुम मुंशी प्रेम चंद यह पत्र पढ़कर मुझे रोमांच हो आया। यह बात मेरे लिए असह्य थी कि कोई स्त्री अपने पति की इतनी खुशामद करने पर मजबूर हो जाय। पुरुष ...

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