रुबाइ

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जुल्फ़-ए-बंगाल     लिये, सरहद- ए- पंजाब  लिये!  अपनी आंखों में जुलैख़ा का   हसीं  ख़्वाब  लिये!!  वो  जवानी  ही क्या  जो नाज़  में  लिपटी   न हुई ; निखरते  नूर  का  उमड़ा हुआ  ...

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