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जुल्फ़-ए-बंगाल लिये, सरहद- ए- पंजाब लिये! अपनी आंखों में जुलैख़ा का हसीं ख़्वाब लिये!! वो जवानी ही क्या जो नाज़ में लिपटी न हुई ; निखरते नूर का उमड़ा हुआ ...