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वाकिफ थीं. इश्क़ से महबूब से अनजान थी. वो उजड़ा हुआ चमन था. और मैं कारसाज़ थीं. सहती रही उसकी बेरुखी को. ये सोच कर की वो आखिरी बार थीं. वो ...