आगोश में

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मुक्तक आज लगता है मैं हूं नहीं होश में। एक नगीना जुड़ा है मेरे कोष में।। दूरियां आज सारी निलम्वित करो। आज आजाओ तुम मेरे आगोश में।। रचनाकार भरत सिंह रावत ...

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