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इस लफ़्ज़े-मोहब्बत का इतना सा फसाना है, सिमटे तो दिले-आशिक़ फैले तो ज़माना है, ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजे, एक आग का दरिया है और डूब के जाना ...