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आज लबों को हमने सीना सीख लिया। धीरे धीरे आंसू , पीना सीख लिया। सागर की गहराई , बहुत कुछ कहती है। सागर जैसा हमने जीना सीख लिया।। रचनाकार ✍️ भरत ...