मुझको तो सिर्फ़ इसी बात पे मर जाना था (रुबाइ)

1 Part

352 times read

13 Liked

मुझको  ये  भी   न  था  मालूम  किधर जाना था!  उनको  हर  रंग  में   हर तौर   संवर  जाना   था!!  हुस्न  का   ग़म भी हसीं,  फ़िक्र   हसीं,  दर्द   हसीं ; मुझको  तो   सिर्फ़  ...

×