लेखनी प्रतियोगिता -07-Oct-2022 इश्क की गलियां

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गजल  इश्क की गलियों में आजकल उनका फेरा कम हो गया है  वो उफनता सा इश्क ए समंदर अब गुमसुम सा सो गया है  जो कहते ना थकते थे जी ना ...

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