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कविता ःतेरी गलियां ★★★★★★★★★ बाबुल तेरी गलियां.. बहुत याद आतीं मुझे.. वो लड़ना और झगड़ना उड़ते पतंगों को काटना गुड़िया की शादी में खीर बताशे बनाना खिलाना आज दूर हुई मुझसे ...