बंजारा परिंदा

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ये दिल बंजारा बन गया है कभी इधर कभी उधर फिरता रहता हुआ दीवाना बन गया है l न इसका कोई ठिकाना है न इसका कोई बसेरा है ये तो उड़ता ...

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