फरिश्ता

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देखी थी सूरत प्यारी प्यारी सी गुलाब की कली खिली हो जैसे आँखे थी हिरनी जैसी कोई कजरे की धार नही थी फिर भी न जाने क्यों गहरी थी l बोली ...

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