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बाल भिक्षुक चीथड़ों में लिपटे डरे सहमे, पड़े मंदिर की सीढ़ियों पर तन सपाट ज्यों मात्र एक अस्थि पिंजर कृशकाय नन्हे-मुन्ने हाथ फैलाए सिहर सिहर देने वाले दाता राम बोल पड़े ...