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क्यों हर रास्ते पर क्यों हर रास्ते पर, खामोशी मिल जाती है। आगे तो बढती हूं, पर क्यों तन्हाई के मोड़ सामने आती है। उस तन्हाई को छोड़ आगे तो बढ़ना ...