इश्क़ में आजमाईश

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ज़रा सी बात थी कि तुम आजमाने निकले भुगतो अब जो उसके और ठिकाने निकले गले मिलकर ही उसने गर्दन दबोच ली मेरी निगाहें थी कहीं उसकी कहीं निशाने निकले दर्द ...

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