मैंने भी तो भीतर अपने छिपा रखें हैं अनगिन भाव #लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -18-Oct-2022

1 Part

463 times read

20 Liked

आल्हा छंद/वीर छंद  (चौपाई+चौपई 16,15) मैंने भी तो भीतर अपने,छिपा रखें हैं अनगिन भाव। ढूंँढ रही शब्दों को ऐसे, लगे न जिससे कोई घाव। मैंने भी तो भीतर अपने, छिपा रखें ...

×