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कट्टर ईमानदारी का लबादा ओढ़कर बेइमानी की नई इबारत गढ रहे हो झूठ की रोज नई नई दुकान खोलकर बासी, सड़ा हुआ माल बेच रहे हो मीडिया को कौड़ियों के भाव ...