अब नही डराती बदली सावन की

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कितनी जोर से उठते यह बादल, लगता सारा शहर डुबो देंगे पर उतनी ही तेजी से चलती हवाओं के साथ जाकर बरस जाते न जाने कहाँ जाकर, और जो मन का ...

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