लेखनी कविता -23-Oct-2022

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आओ फिर घी का दीप जलाएं  मिलजुल कर घर में खुशियां मनाएं  ईर्ष्या द्वेश का भाव मिटाएं प्रेम भाव सब में बांटे दया का फिर से एक दीप जलाएं आओ फिर ...

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