उपवास #लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -27-Oct-2022

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कृपाण घनाक्षरी सृजन शब्द -उपवास *****************/ भूखे पेट रहकर, दुख सारे सहकर, ममता में बहकर, करती है उपवास। उसके जैसा न कोई, रात भर कहाँ सोई, अकेले में खूब रोई, वो ...

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