मैयेके

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देखते देखते मायका  दूर होता गया इंतज़ार में दरवाजे की ओट से तकती माँ जो न रही बचपन की गुड़िया छुपा छुपी का खेल पल में तब पराया हुआ सिंदूर का ...

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