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गाँव की मिट्टी गीली है खुशबूदार रिश्तों के शजर बड़े पुख्ता हैं शहर की हवा में जाने कैसी अना है एक ही बिल्डिंग में सब नाआश्ना हैं ऐश-ओ-इशरत के लिए दौलत ...