दास्तां एक मकान का

1 Part

140 times read

11 Liked

मेरी गली में उजड़ा हुए जो एक मकान है गुजरे हुए वक़्त की अनुसुती दास्तां है ।। बस्ती होगी किसी की दुनिया था कभी  आज भी यहां धुंधला सा कुछ निशान ...

×