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चार दशक (छंद मुक्त कविता) इस जीवन के चार दशक बीत गए कितने ही लोग मिले बिछड़े फिर मिले कुछ मिलकर भी न मिले कुछ अपने कुछ सपने साकार हुए कुछ ...