कविता

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आज फिर ख्याल आया लिखने का,  तुम्हें सोचने का,  ख़ुद को सम्भालने का,  तुम्हारी याद में खो जाने का,  ख़ुद से तुम्हें जोड़ने का,  आकाश की ओर निहारने का,  चुप चुप ...

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