दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय विश्वनाथ

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*विश्वनाथ !*   विश्वनाथ !  तेरे मंदिर में,  भक्त रहे हैं लूट | भक्तिभाव का आडंबर है, फीका-फीका जोश, याद नहीं है, तेरी पर है, दुनियाभर का होश, रुपये ले,  दर्शन ...

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