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काश कोई ज़ज्बातो का खरीददार ••••••••••••• कोई रिश्ता भी समझ नहीं आता। हर कोई अपना यहाँ हिसाब करता। हर कोई मतलब की बात करता। किसी पर भी अब यकीन नहीं होता। ...