तुम्हरी परछाईं

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आज भी बातें होती है,  कभी चाय का गिलास,  तो कभी पुरानी तस्वीरे,  कभी बेवजह मुस्कुराना,  तो कभी ख़ुद को लेखक मानना,  आज भी बातें होती हैं,  तुम्हें देखना,  खुद को ...

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