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ए कविता तुम कौन हो, बिन शब्दो के गौण हो, वैसे रहती तुम मौन हो, पर व्यवस्थित हो शब्द, तो सार्वभौम हो।। स्थिति तुम्हारी,है जीव की जैसी, नही शब्द तो निर्जीव ...