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मुक्तक शर्मो हया से झुक गईं क्या नजरें आपकी या चमचमाते हुस्न की मदिरा का असर है यूं मुस्कुराकर लूटा ना करो , दिल सरेआम छुपा के रखो , उफनता यौवन ...