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बिटिया का अंतर्द्वंद्व जिसे नाज नखरो से पाला पिता ने, वही आज रो-रो विदा हो रही है। बाहों का झूला झुलाया पिता ने, उसे आज डोली में बिठा रो रहे हैं। ...