यादों की अलमारी

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उन कपकापंती उंगलियों ने जब पकड़ा यादों की डोर को एक सांकल सी टूटी अनजाने में बरसों से बन्द कमरे की धूल भरी यादें आजाद हुईं जब यादों की संदूक नीचे ...

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