विचलित मन।

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आज भी मन की, थाह, न पाई,  रहा वो अकिंचन,  यूं विचलित  सा ही।। चाहता हैं क्या,  जान  न पाया।  क्यू विचलित मन , सुनता ही न , ही।। कितने अनछुए, ...

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